अकेलापन कविता माधवी द्वारा लॉकडाउन 2020 | Akelapan Kavita by madhavi
जिंदगी जो अकेलापन देती है उसे केवल वह इंसान ही समझ पाता है जो इस दौर से गुज़रा हो। अकेलेपन का एहसास एक ऐसा एहसास है जो पुरानी यादो को छन में ताज़ा कर देती है। इस दौरान समय का सदुपयोग या दुरुपयोग करना है यह हमे तय करना होता है। अकेलापन ऐसा दर्द देती है की काफी समय उससे उभर पाना नामुमकिन हो जाती है।
क्या होता है अकेलापन ?
खुद की तकलीफो में खुद को भुला देना ?
या खुद की तकलीफो से खुद को पा लेना ?
अकेलेपन की दीवारों से घिरी इस जिंदगी की सदा (आवाज़) किसे सुनाई देती है।
फ़राग़त (फुर्सत) तो दे हमे, तुझसे रगबत (लगाओ) होने की, बस यही वक्त से दुहाई होती है।
तू किसी को भी अच्छी नहीं लगती और न ही सच्ची।
हां माना, तुम्हारा मेरी जिंदगी में होना किसी बवंडर से काम नहीं।
अगर तू न हो तो मेरी ज़िन्दगी में सम नहीं।
मैं चाहती हूँ, की तू वक़्त से भी तेज़ चले,
ताकि तू कही रुक न पाओ।
लेकिन तू जिंदगी की उस गहराई पे रहती है,
जहाँ सिवाय साँसों के इजाजत नहीं किसी को जाने की।
हमे भिड़ो की ऐसी आदत लगी है ,
खुद को दो पल देना गवारा नहीं होता।
ज़िन्दगी थोड़ी आसान सी लगती है,
जब हम खुद पे एहसान कर लेते है,
वरना…. शिकायतों के समंदर का कोई किनारा नहीं होता।
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